माला जी जोर्डन गईं तो यह देखकर दंग रह गईं कि वहाँ औरतें रोटियाँ नहीं पकातीं. उन्होंने कान्ति मासिक पत्रिका में अपना पूरा अनुभव बताया है.
http://kanti.in/issues/2012/july2012/Page-20.asp
http://kanti.in/issues/2012/july2012/Page-20.asp
बहुत बढ़िया खबर है.
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